बिहार में यात्री सड़क परिवहन का बुरा हाल

भारत मे लगभग सभी राज्यों में यात्री परिवहन की व्यवस्था वहां की राज्य सरकार संभालती है और लगभग सभी राज्यों की परिवहन व्यवस्था संतोषजनक है सिवाय बिहार के। क्योंकि की यहाँ यात्री सुविधा के नाम पर सिर्फ बिहार से जमशेदपुर(झारखंड) तक मेरसीडीज कि बस सेवा है और बिहार सरकार उसी का ढिंढोरा पिटती है।
ऐसा नही है कि बिहार में यात्री परिवहन का इतना ही बुरा हाल था। मुझे याद है बचपन मे हर जगह जाने के लिए राज्य सरकार द्वारा संचालित बसें ही थी। पर बिहार में यात्री परिवहन का बुरा हाल 1994 के आसपास होना शुरू हुआ जब परिवहन उद्योग से जुड़े एक व्यवसायी को बिहार का परिवहन मंत्री बनाया गया। और जैसा उम्मीद था उस व्यापारी मंत्री ने वही किया मतलब सरकारी बस परिवहन व्यवस्था को धवस्त कर अपना बस परिवहन को पूरे बिहार में फैला दिया।
उसमे घी डालने का काम किया जब उस समय के मुख्यमंत्री के रिश्तेदार भी यात्री परिवहन के व्यवसाय में कूद पड़ा। उसने तो बिहार परिवहन को बर्बाद किया ही साथ मे बिहार परिवहन से जुड़े कर्मचारियों को भूखमरी की हालत में ला दिया क्योंकि की उसने कई साल तक कर्मचारियों को वेतन ही नहीं दिया।
वर्तमान सरकार ने भी सड़क परिवहन को सुधारने का कोई खास प्रयास नही किया। आज भी बिहार में लोग प्राइवेट परिवहन के भरोसे है जो कि यात्रियों से मनमाना किराया वसूलते हैं।

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