सरकार गाँव का विकास करने में पीछे क्यों हैं?

मैं बचपन से मीडिया और नेताओं से सुनता आया हूँ कि असली भारत गाँव मे रहता है। और भारतवर्ष की 70% जनता भारत में रहती है। और इन 70%जनता को बुनियादी सुविधाएँ भी मयस्सर नही हैं। बुनियादी सुविधा जैसे शुद्ध पेयजल, शिक्षा, परिवहन और स्वास्थ्य। हालांकि कुछ राज्यो में ये चीजें बहुत अच्छी है पर ये वो राज्य हैं जो भारत के विकसित राज्यों में आते हैं।
इसके पीछे मुझे लगता है सरकार की मानसिकता गलत है। क्योंकि सरकार उन्ही लोगो का ज्यादा ध्यान रखती है जहाँ से उसे अधिक टैक्स मिलता है और अभी तक सरकार को किसानों से नही के बराबर टैक्स मिलता है।
इसी लिए कोई भी सरकार गांव के विकास पर ज्यादा ध्यान नही देती है।
पर आप गौर करेंगे तो भारतीय सेना में सबसे ज्यादा सैनिक ग्रामीण क्षेत्र से ही आते हैं। सरकारी नौकरी में सबसे ज्यादा लोग ग्रामीण क्षेत्र से ही आते हैं।
ग्रामीण क्षेत्र अभी तक मल्टीनेशनल कंपनियों के बाजार के रूप में जगह नही बना पाया है। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की खरीद क्षमता नही है इसी लिए भारत के ग्रामीण क्षेत्र मल्टीनेशनल कंपनी इसको अपना बाजार ही नही समझती है।
वास्तव में भारत के ग्रामीण क्षेत्र में रहना एक दुष्कर कार्य है। क्योंकि हर तरह की बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। सरकार को ग्रामीण क्षेत्र में लोगो की खरीद क्षमता बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए सरकार को पहले ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा को मजबूत करना चाहिये। क्योंकि शिक्षा ही वो धन है जिसके बुते वो ग्रामीण क्षेत्र का नागरिक हो या शहरी क्षेत्र का व्यक्ति हो उसको मजबूत करता है।

शहर में लोग अपनी गाड़ी रखते हैं और कही भी आना जाना हो तुरन्त अपनी गाड़ी में बैठ कर पहुच जाते हैं पर ग्रामीण इलाकों में इसके उलट हालात है। कुछ ही लोगो के पास अपनी गाड़ी है उसमें भी मोटरसाइकिल जिसमे की 2 लोग ही जा सकते हैं साथ मे सडकें टूटी फूटी जिसमे गाड़ी चलाना ही दुस्वार है।

शहर में आप बीमार होते हैं तो तुरंत आप हॉस्पिटल या कोई निजी क्लीनिक चले जाते है और कुछ ही घंटों में आपको इलाज मिल जाता है। अगर कोई बहुत ही गंभीर घायल है तो उसे ट्रामा सेंटर ले जाते हैं और तुरंत इलाज़ मिल जाता है।
वही ग्रामीण इलाके में कोई बीमार हो जाये तो आपके पास सिर्फ एक ही उपाय होता है कोई निजी क्लीनिक में जाना और वहां पर भी आप सुबह नंबर लगाएंगे तो आपका नंबर शाम में आएगा। डॉक्टर आपको 1मिनट से भी कम देर देखेगा और 5 - 6टेस्ट लिख देगा साथ मे कहाँ से वो टेस्ट करवाना है का पर्ची जोड़ देगा। अगर आप डॉक्टर के बताए जगह पर टेस्ट नही करवाएंगे और दूसरे जगह टेस्ट करवा लिए तो डॉक्टर वो टेस्ट को ही गलत करार कर देगा। ऊपर से डॉक्टर के बताए लैब में टेस्ट करवाने पर वो लैब नार्मल रेट से दुगनी या तिगुनी रेट पर जांच करेगा। और कोई अगर गंभीर रूप से घायल है तो भूल जाइए। आपके पास सिर्फ एक ही जगह बचती है वो है सरकारी अस्पताल।
ग्रामीण क्षेत्र में सरकारी अस्पताल वो जगह है जहां डॉक्टर नार्मल बुखार वाले मरीज़ को नही देखते है गंभीर रूप से घायल को क्या देखेंगे। तुरंत गंभीर घायल मरीज़ को देखते ही उसको नज़दीक के सरकारी अस्पताल रेफर कर देंगे वो भी बिना किसी इलाज के। आप नज़दीक के शहर में मरीज़ को ले जाते हैं तो वहां भी वही दुहराया जाता है। आपको तुरंत राज्य के सरकारी अस्पताल रेफर कर दिया जाता बिना प्राथमिक इलाज के। और वो गंभीर घायल मरीज़ रास्ते मे ही दम तोड़ देता है।
ठीक इसी तरह शहर में शिक्षा के लिए बड़े बड़े प्राइवेट संस्थान है पर ग्रामीण क्षेत्र में मध्य विद्यालय या उच्च विद्यालय जिसमें शिक्षक ही नहीं हैं और जो हैं वो भी पढ़ाते नही क्योंकि वो शिक्षक बच्चों को प्राइवेट ट्यूशन दे कर अधिक कमाना चाहते हैं। हालांकि प्राइवेट ट्यूशन का चलन शहरों में भी है पर उसके कई दूसरे कारण हैं।
शहर में आप कई तरह के व्यवसाय कर सकते है और वो सब अच्छे ढंग से चलते है पर ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसा नही है। ग्रामीणों के पास स्वरोजगार के लिये गाओं में पैसा ही नही है और किसी तरह से वो पैसे की जुगाड़ कर आप व्यवसाय करते हैं तो आपको कोई खरीददार नही मिलता है और आपका व्यवसाय नही चल पड़ता है।
अतः सरकार को चाहिए कि अगर देश का विकास करना है तो ग्रामीण क्षेत्रों का विकास करना ही होगा।

Comments

Popular posts from this blog

ट्रेन में आमलोग भेड़ बकरियों की तरह यात्रा करने पर क्यों मजबूर हो रहे हैं

बिहार में यात्री सड़क परिवहन का बुरा हाल

मरना एक कालिंद बलोच का